राज्य सहायता

स.वि.प्र. का राज्‍य सहायता कार्यक्रम

विभिन्‍न राज्‍य और संघ राज्‍य क्षेत्र भी रा.प्र.स.का. द्वारा किए जाने वाले समाजार्थिक सर्वेक्षणों में, कम से कम समान सुमेलन प्रतिदर्श आधार पर, भाग लेते हैं । राज्‍य संस्‍थाओं (वी.ए.इ. और एस, एस.एस.बी., डी.इ.एस. आदि) द्वारा की जाने वाली प्रतिदर्श प्रथम चरण इकाईयों (FSU) का भी चयन स.वि.प्र. द्वारा उसी प्रतिचयन क्रियाविधि का प्रयोग कर किया जाता है जो रा.प्र.स. द्वारा प्रतिदर्शों के चयन के लिए की जाती है । राज्‍य संस्‍थाओं द्वारा किए जाने वाले प्रतिदर्शों को राज्‍य प्रतिदर्श कहा जाता है ।

समंक विधायन प्रभाग क्षेत्र में सर्वेक्षण के प्रारंभ होने के कुछ महीने बाद राज्‍य की संस्‍थाओं के कर्मचारियों के लिए समंक विधायन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन करता है, जहॉं विधायन साधनों के साथ रा.प्र.स. समंक विधायन की अभिकल्‍प प्रणाली और केन्‍द्रीय-प्रतिदर्श समंक विधायन के लिए समंक प्रविष्‍टि का प्रयोग, सत्‍यापन और वैधीकरण सॉफ्टवेयर के बारे में प्रतिभागियों को विस्‍तृत जानकारी दी जाती है । समंक प्रविष्‍टि और सत्‍यापन पैकेज, डाटा ले-आउट और वैधीकरण सॉफ्टवेयर की एक सी.डी. प्रत्‍येक अंशग्रहण करने वाले राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों को प्रदान की जाती है ।

इस कार्यशाला का मुख्‍य उद्देश्‍य राज्‍यों के बीच केन्‍द्रीय प्रतिदर्श के लिए प्रयोग किए जाने वाले सॉफ्टवेयर सहित विधायन साधनों का प्रचार-प्रसार करना है ताकि वे भी डाटा गुणवत्‍ता के न्‍यूनतम स्‍तर को बनाये रखने के लिए समान वैधीकरण तकनीकों का पालन कर सकें और उस डाटा फार्मेट का प्रयोग कर सकें । अन्‍य शब्‍दों में, यह राज्‍य प्रतिदर्श डाटा को केन्‍द्रीय प्रतिदर्श डाटा के साथ एकत्र करेगा । केन्‍द्रीय प्रतिदर्श डाटा के लिए प्रयोग किए जाने वाले सारणीयन सॉफ्टवेयर का प्रयोग इस एकत्रित डाटा से तालिका तैयार करने के लिए बगैर किसी अतिरिक्‍त प्रयास के किया जा सकता है, यदि दोनों डाटा सेट के समान ले-आउट हैं । कई राज्‍यों से प्रतिभागी इस प्रकार की कार्यशाला में नियमित रुप से भाग लेते हैं । पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए समंक विधायन के क्षेत्र में उनकी विशेष आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए स.वि.प्र. द्वारा विशेष प्रशिक्षण कार्यशालायें आयोजित की जाती हैं ।

स.वि.प्र. द्वारा राज्यों के लिए विभिन्न रा.प्र.स दोरों के लिए सारणीयन कार्यशालायें आयोजित की जाती है। रा.प्र.स. 68वें दौर और रा.प्र.स. 69वें दौर के लिए एक सारणीयन कार्यशाला कोलकाता में क्रमश: मई 2014 और नवम्बर 2014 में आयोजित की गई, जहाँ कई राज्यों ने स.वि.प्र. द्वारा तैयार किए गए सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हुए तालिका तैयार करने के लिए एक विशिष प्रशिक्षण में अंशग्रहण लिया। जिला स्तर आकलनों को प्राप्त करने के लिए केन्द्रीय और राज्य प्रतिदर्श आँकड़ों के एककीकरण (pooling) के साथ-साथ एकीकरण जाँच की कार्यप्रणालियों की विस्तृत व्याख्या क्षेत्रीय जी.एस.डी.पी. कार्यशालाओं की एक भाग के रूप में आयोजित एकीकरण कार्यशालाओं में की गई है। एककीरण के लिए अपेक्षित सॉफ्टवेयर के साथ-साथ सभी संगत प्रलेख राज्यों को प्रदान किये गये तथा स.वि.प्र. के अधिकारियों द्वारा विकसित किए गए सॉफ्टवेयर को कार्यशाला में प्रदर्शित किया गया । स.वि.प्रभाग ने केन्द्रीय और राज्य प्रतिदर्श आँकड़ों पर एक पुस्तिका जिसमें एकीकरण के कार्यप्रणाली विवरण के साथ अन्य संगत सामग्रियों सात राज्यों के एकीकृत परिणाम (रा.प्र.स. 66वां दौर, अनुसूची 1.0, उपभोक्ता व्यय), पूलिंग और पूलेबिलिटि सॉफ्टवेयर तथा दो राज्यों के इकाई स्तर राज्य और केन्द्रीय प्रतिदर्श आँकड़े दिये गये हैं, तैयार किया गया है एवं प्रयोक्ताओं की सुविधा के लिए मंत्रालय के वेबसाइट पर इसे अपलोड कर दिया गया है ।

सी.ओ.सी.एस.एस.ओ. संकल्‍प के अनुसार, केन्‍द्रीय-प्रतिदर्शें के वैधीकरण इकाई-स्‍तर डाटा सभी राज्‍यों/सं.रा.क्षेत्रों में एकत्र (पूलिंग) करने के उद्देश्‍य से बांटे गए हैं । यह पब्‍लिक डोमेन में इकाई-स्‍तर डाटा के बटते ही किया जाता है ।

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