-
पीआई स्कंध का प्रमुख उप महानिदेशक (कार्यक्रम कार्यान्वयन) होते हैं, जो अपर सचिव को रिपोर्ट करते हैं। इस स्कंध के तीन प्रभाग हैं:
- 20-सूत्री कार्यक्रम (टीपीपी) प्रभाग : यह प्रभाग 20-सूत्री कार्यक्रम (टीपीपी) के कार्यान्वयन की मॉनीटरिंग करता है, जो वर्ष 1975 में शुरू किया गया था। वर्ष 2006 में इस कार्यक्रम को पुनर्गठित किया गया था और टीपीपी 2006 में गरीबी उनमूलन तथा पूरे देश में गरीबों एवं साधनहीन लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने पर बल दिया गया था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गरीबी, रोज़गार, शिक्षा, आवास, कृषि, पेय जल, वनरोपण और पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण क्षेत्रों को ऊर्जा, समाज के कमजोर वर्गों का कल्याण आदि जैसे विभिन्न सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र आते हैं। टीपीपी 2006 के अधीन 65 मदों की मॉनीटरिंग की जाती है, जिसके लिए 162 मापदंड हैं। इनमें से 20 मदों की मासिक आधार पर मॉनीटरिंग की जा रही है। 16 मदों के संबंध में मासिक सूचना विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से एकत्र की जाती है और शेष चार मदों के संबंध में संबंधित केंद्रीय नोडल मंत्रालयों से सूचना एकत्र की जाती है। टीपीपी 2006 के मॉनीटरिंग तंत्र में केंद्रीय/ राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर की जाने वाली मॉनीटरिंग भी शामिल है।
- बुनियादी ढांचा और परियोजना मॉनीटरिंग प्रभाग (आईपीएमडी) : यह प्रभाग देश में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों की मॉनीटरिंग करता है ताकि उनकी कमियों, यदि कोई हों, पर प्रकाश डालने के लिए उनके कार्य-निष्पादन का सिंहावलोकन किया जा सके। यह सिंहावलोकन बिजली, कोयला, इस्पात, रेलवे, संचार, पत्तन, उर्वरक, सीमेंट, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस, सड़क और नागरिक उड्डयन से संबंधित है। आईपीएमडी भी 150 करोड़ और उससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं की भी मॉनीटरिंग करता है ताकि ऑनलाइन मॉनीटरिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से उनके समय और अधिक लागत पर नज़र रखी जा सके, इसे ओसीएमएस (ऑनलाइन) कंप्यूटरीकृत मॉनीटरिंग प्रणाली कहते हैं।
-
संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) प्रभाग : यह प्रभाग एमपीएलएडीएस योजना पर नजर रखता है, जो 23 दिसंबर, 1993 को शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य स्थानीय आवश्यकताओं पर आधारित टिकाऊ, सामुदायिक परिसंपत्तियों के सृजन के लिए विकास की प्रकृति के कार्यों की सिफारिश करने के लिए संसद सदस्यों को एक कार्य प्रणाली मुहैया कराना है। इस योजना के अधीन स्थानीय रूप से महसूस किए जाने वाले विकास और समुदाय की बुनियादी आवश्यकताओं का समाधान करना तथा विकास के कार्यों के अंतर को पूरा करना है। जब से यह योजना शुरू की गई है, इस योजना से पेय जल की सुविधा, शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, सिंचाई, गैर-पारंपरिक ऊर्जा, सामुदायिक केंद्र, सार्वजनिक पुस्तकालय, बस स्टैंड/ स्टॉप, सड़क, पगडंडी और पुल, खेलकूद आदि जैसी विकास की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करके स्थानीय समुदाय को लाभ मिला है। कार्यों की सिफारिश माननीय संसद सदस्यों द्वारा की जाती है और निर्माण कार्यों की मंजूरी, निष्पादन और मॉनीटरिंग जिला प्राधिकारियों द्वारा राज्य सरकार के प्रशासनिक, तकनीकी और वित्तीय नियमों के अनुसार किया जाता है। यह योजना एमपीएलएडीएस दिशानिर्देशों के द्वारा नियंत्रित की जाती है। प्रति वर्ष प्रति एमपी की हकदारी वर्ष 2011-12 से 5 करोड़ रुपए है।