समंक विधायन के लिए प्रणाली डिजाइन
बड़े पैमाने पर समंक विधायन की आवश्यकताओं के लिए सम्पूर्ण समंक विधायन कार्य की संरचना कई कार्यमूलक चरणों में की गई है । चूँकि समंक विधायन कार्य विकेन्द्रीकृत है और समंक प्रविष्टि कार्य में कई लोग लगे होते हैं, इसलिए प्रत्येक चरण को पहले से ही योजनाबद्ध किया गया है, विस्तृत रुप से प्रलेखित किया गया है, संकल्पनायें और परिभाषाओं की व्याख्या की गई है, प्रशिक्षण कार्यशालायें केन्द्रीय और स्थानीय दोनों रुप में आयोजित की जाती हैं, और अनदेखे ऑंकड़ों की समस्याओं को सुलझाने के लिए मध्य-पाठ्यक्रम चर्चायें भी की जाती हैं । अत: यह समंक विधायन की एक औपचारिक प्रणाली है । समंक विधायन के चरण हैं :
- पहचान को जॉंचना और प्राप्ति स्थिति का मॉनीटर करना ।
- ऋटियों को पहचानने के लिए अधिकारियों द्वारा हॉट संवीक्षा, जो आवर्ती प्रकृति के हैं, जोकि क्षेत्र द्वारा हुए हैं
- सम्भावित त्रुटियों के मुख्य फील्ड में मैनुअल जांच के लिए अनुसूचियों की समंक प्रविष्टि पूर्व संवीक्षा ।
- समंक प्रविष्टि और 100% सत्यापन
- चरण-I वैधीकरण (विषय जॉंच) : इसमें त्रुटि सूची तैयार करना, अनुसूचियों से त्रुटि सूची जांचना, अद्यतन और अभिलेख समाविष्टि की समंक प्रविष्टि और डाटा फाइल अद्यतनीकरण शामिल हैं । प्रत्येक प्रकार की अनुसूची के लिए ऐसे जॉंचों की संख्या 60 से 150 के बीच होती है । इस चरण में :
- स्वीकार्य मूल्यों (संकेतांकों) की सूची के सापेक्ष फील्ड्स की जांच की जाती है ।
- अंकगणितीय सामंजस्य जॉंच, सीमा जॉंच और उप-जोड़ जॉंच, अंकीय क्षेत्रों के साथ-साथ संबंधित क्षेत्रों के एक समूह के लिए भी, उसी खण्ड के भीतर, अलग-अलग खण्डों के लिए की जाती है ।
- दो या अधिक खण्डों के बीच उसी मद या व्यक्ति से संबंधित अभिलेख की खोज की जाती है और चयनित अभिलेखों से विभिन्न अंकीय क्षेत्रों को शामिल करते हुए अंकगणितीय/प्रतिबंधित जॉंच किया जाता है ।
- विभिन्न खंडों में दी गई व्यक्तिवार या मदवार सूचना का मिलान परस्पर व्याप्ति जाँच के लिए की जाती है
- मात्रा और मूल्य फील्ड के लिए इकाई मूल्य जाँच
- दो बार दर्ज किए गए अभिलेखों का पता लगाया जाता है
- चरण-II वैधीकरण (व्याप्ति जांच) : इस स्तर पर,
- प्रत्येक संबंधित प्र.च.इ. और एस.एस.यू. से संबंधित डायरेक्ट्री फाइल की तुलना में ऑंकड़ों की व्याप्ति की जांच की जाती है ।
- किसी अनिवार्य खंड के आँकड़े की अनुपस्थिति की जांच की जाती है ।
- एफ.एस.यू. या एस.एस.यू. ऑंकड़ों के द्विलिपिकरण की जांच की जाती है ।
- डायरेक्ट्री फाइल के लिए आइ.डी.विवरणों के सामंजस्य की जांच की जाती है ।
- चरण-III वैधीकरण (अंतिम मूल्य जांच): यहां असामान्य या संदेहपूर्ण मूल्यों या व्युत्पन्न सूचकांक को खोजा जाता है और भरी हुई अनुसूचियों से जांच की जाती है ।
- सारणीयन कार्य में लगे अधिकारियों द्वारा विशेष आँकड़ा जाँच की जाती है । संदेहपूर्ण मामलों की एक सूची तैयार की जाती है और स.कि.केन्द्रों द्वारा भरी हुई अनुसूचियों के साथ जाँच और आँकड़ा फाइलों में आवश्यक अद्यतनीकरण किया जाता है।
- कम्प्यूटर एडिटिंग (सम्पादन) या स्व-संशोधन: इस स्तर पर,
- कुछ दिशानिर्देशों के अनुसार, डाटा के अंदरुनी सामंजस्य को बनाए रखने के लिए भरी हुई अनुसूची का संदर्भ लिए बिना उसमें आवश्यक बदलाव किए जाते हैं ।
- सभी उप-योग/योग प्रत्येक द्वितीय चरण इकाई के लिए निकाले जाते हैं, और आवश्यक होने पर अतिरिक्त अभिलेख तैयार किए जाते हैं ।
- कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तियों के संदर्भ में पूर्व वर्षों की तुलना में वर्तमान डाटा की संगतता की जॉंच की जाती है ।
- गुणक फाइलों को तैयार करना, अर्थात प्रतिदर्श अभिकल्प के अनुसार प्रत्येक मूलभूत चरण इकाइयों के लिए भारण कारकों को निकालना
- कार्य फाइलों को तैयार करना, जो तालिका तैयार करने के लिए डाटा से लिए जाते हैं । संबंधित तालिकाएं सामान्यत: एक साथ समूहीकृत की जाती हैं तथा उन संबंधित तालिकाओं को तैयार करने के लिए आवश्यक सभी डाटा क्षेत्रों को एक एकल कार्यफाइल में उद्धृत किया जाता है ।
- डाटा का सारणीयत: प्रतीकात्मक रुप से प्रत्येक अनुसूची के लिए तैयार की जाने वाली सारणियों की संख्या (अनुमोदित सारणीयन योजना के अनुसार) 70 से 200 के बीच होती हैं। सारणियॉं सामान्यत: क्षेत्रवार X राज्यवार X लिंगवार X अन्य समाजार्थिक श्रेणी-वार तैयार की जाती हैं । समंक विधायन प्रभाग द्वारा तैयार सारणियों के आधार पर सर्वेक्षण अभिकल्प एवं अनुसंधान प्रभाग विषय वार रिपोर्ट तैयार करता है जो यथोचित अनुमोदन के पश्चात प्रकाशित किये जाते हैं ।
- स.अ.अ.प्र. द्वारा सर्वेक्षण के मुख्य सूचकों पर रिपोर्ट के जारी करने के तुरंत पश्चात् कम्प्यूटर सेंटर के द्वारा प्रसार के लिए मेटा डाटा के साथ गुणक सहित इकाई स्तर डाटा को जारी करना ।